लिस्पेन्डेंस का सिद्धान्त उक्त धारा के अनुसार किसी वाद, निष्पादन कार्यवाही अथवा अपील की दशा में भी लागू होगा।
2.
निम्न न्यायालय ने अपने निष्कर्ष में यह मत दिया है कि निष्पादन कार्यवाही के संबध में आदेश-21, नियम-97,101 व 151जा0दी0 इस प्रकीर्ण पत्रावली में प्रार्थी महेश चंद्र कुलेठा द्वारा आदेश-1, नियम-10 जा0दी0 के अंतर्गत दिये गये प्रार्थनापत्र की संधारणीयता प्रतीत नहीं होती है और इस आधार पर निम्न न्यायालय द्वारा प्रार्थनापत्र 13ग निरस्त कर दिया गया।
3.
स्थायी लोक अदालत में विवादों का निर्णय सरल, सामान्य एवं प्राकृतिक न्याय के आधार पर होता है, वाद वादी द्वारा सामान्य आवेदन पत्र पर ही प्रस्तुत किया जाता है, अधिवक्ता की अनिवार्यता नहीं है, आवेदन के लिए किसी प्रकार की Èीस नहीं लगती, अधिनियम के अधीन स्थायी लोक अदालत का निर्णय अंतिम होता है और किसी भी भूल, वाद आवेदन या निष्पादन कार्यवाही में प्रश्नगत नहीं किया जाएगा।